उपचुनाव न होने की स्थिति में छह महीने तक प्रशासनिक नियंत्रण में रहेंगी ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतें
पंचायत चुनाव: उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार एक बार फिर इन पर प्रशासकों की नियुक्ति करने जा रही है। सरकार इसके लिए पंचायती राज अधिनियम 2016 के तहत एक नया अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है, जिससे पंचायतों को अगले छह महीने या चुनाव होने तक के लिए दुबारा से प्रशासकों के हवाले किया जाएगा।
हरिद्वार को छोड़कर उत्तराखंड में कुल:
- 7505 ग्राम पंचायतें
- 2936 क्षेत्र पंचायतें
- 343 जिला पंचायतें हैं।
इसे भी पढ़ें: देहरादून में पूर्व सैन्य अधिकारी गिरफ्तार: नाबालिग भतीजी से दुष्कर्म, पोती से छेड़छाड़ का आरोप।
इनका पांच वर्षीय कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लेकिन चुनाव अभी तक नहीं कराए जा सके। इसलिए सरकार ने पहले ही निवर्तमान प्रतिनिधियों को अस्थायी प्रशासक नियुक्त किया था, जिनका कार्यकाल:
- ग्राम पंचायतों में 27 मई,
- क्षेत्र पंचायत प्रमुखों में 29 मई,
- जिला पंचायतों में 1 जून को समाप्त हो रहा है।
प्रशासकों की दोबारा नियुक्ति संभव
अब सरकार के पास दो विकल्प हैं:
- या तो इन्हीं निवर्तमान प्रतिनिधियों को दोबारा प्रशासक नियुक्त किया जाए।
- या फिर नई प्रशासक टीम गठित की जाए।
इसे भी पढ़ें: Big Breaking: लगभग 20 दिन बाद BSF जवान सकुशल लौटे भारत, पाक रेंजर्स ने अटारी बॉर्डर पर किया सुपुर्द।
कानून के अनुसार, कार्यकाल समाप्ति पर छह महीने तक के लिए प्रशासकों की नियुक्ति संभव है, लेकिन यह अवधि भी अब पूरी होने को है। ऐसे में एक बार फिर सरकार को अध्यादेश लाना पड़ेगा।
पंचायत चुनाव खर्च पर होगी कड़ी निगरानी
राज्य निर्वाचन आयोग ने आगामी पंचायत चुनावों में चुनाव खर्च की सख्त निगरानी की घोषणा की है।
- सभी जिलों में बैलेट पेपर छप चुके हैं।
- प्रत्याशियों से खर्च का विस्तृत विवरण अनिवार्य रूप से लिया जाएगा।
- पिछली बार जिन प्रत्याशियों ने विवरण नहीं दिया था, उन पर कार्रवाई की जा रही है।
इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड का टेलर बठिंडा सैन्य छावनी की जासूसी करते गिरफ्तार, मोबाइल में पाकिस्तानी इंटेलिजेंस के नंबर बरामद।
इस बार प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक के लिए चुनाव खर्च सीमा बढ़ाई गई है, लेकिन प्रत्याशियों को सीमा के भीतर ही खर्च करना होगा।